राष्ट्रीय गोकुल अभियान ये भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है। इस योजना के अंतर्गत स्वदेसी जाती के गायो का संरक्षण और विकास किया जाता है। यह योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है। इस अभियान के द्वारा 40% स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण किया जाता है। इस अभियान के द्वारा “गोकुल ग्राम” विकास केंद्र स्तापित करने की परिकल्पना है। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य देश में दुग्ध उत्पादन में बढ़ौती लाना है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन द्वारा 2014-15 से 2016-17 तक इन तीन वर्षों के दौरान 500 करोड़ रुपये की मदत के साथ, गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत निधि उपलब्ध कराने का ध्येय है।
इस योजना का उद्देश्य:
- इस योजना के अंतर्गत स्वदेसी जाती के गायो का संरक्षण और विकास किया जाता है
- दूध उत्पादन और स्वदेशी bovines की उत्पादकता बढ़ाना
- गिर, साहीवाल, राठी,लाल सिंधी तरह की स्वदेशी गायो की अभिजाती वर्ग बढ़ाना है
- प्राकृतिक सेवा के द्वारा स्वदेशी नस्लों को रोग मुक्त करना
गोकुल ग्राम क्या है?
- गोकुल ग्राम देशी पशु केंद्र और अधिनियम स्वदेशी नस्लों के विकास के लिए केंद्र के रूप में काम कर रहा है
- गोकुल ग्राम मूल निवासी प्रजनन इलाकों और शहरी आवास के लिए मवेशियों के पास महानगरों में स्थापित है
- गायो के प्रजनन क्षेत्र में किसानों को उच्च आनुवंशिक प्रजनन स्टॉक की आपूर्ति के लिए एक भरोसेमंद स्रोत है
- इन केन्द्रों के द्वारा खपत और पशु उत्पादन की बिक्री में बढ़ौती के लिए बायो गैस से दूध, जैविक खाद, वर्मी खाद, मूत्र डिस्टिलेट्स इनका उपयोग लेना है
- गोकुल ग्राम किसानों के लिए कला प्रशिक्षण का एक प्रमुख केंद्र है
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के घटक:
- गांव स्तर पर एकीकृत गोकुल ग्राम देशी पशु केंद्र स्थापन करना
- स्वदेसी जाती के गायो का संरक्षण और विकास करना
- प्रजनन तंत्र क्षेत्र के प्रदर्शन रिकॉर्डिंग (FPR) की स्थापना।
- संस्थानों / संस्थानों जो सबसे अच्छा जर्मप्लाज्म का भंडार करने के लिए सहायता
- बड़ी आबादी के साथ स्वदेशी नस्लों की वंशावली को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए
“गोपालन संघ” – ब्रीडर सोसायटी स्थापना करना
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का कार्यान्वयन:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (एसआईए) पशुधन विकास बोर्ड के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है अर्थात
CFSPTI, CCBFs, आईसीएआर, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, गैर सरकारी संगठनों, सहकारी समितियों की तरह सभी प्रतिभागी एजेंसियों स्वदेशी पशु विकास में एक भूमिका है