सुजलाम सुफलाम योजना उत्तर प्रदेश: यूपी के खेतों में बांध, तालाब, परिसंचरण तालाब
उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सूखे से लड़ने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य में सुजलाम सुफलाम योजना को लागू करने का फैसला किया है। इस योजना को पहली बार महाराष्ट्र राज्य में लागू किया गया था और अब इस योजना को उत्तरप्रदेश राज्य में लागु किया जाएंगा। इस योजना के तहत बारिश के पानी को बचाने के लिए बांध, तालाब, परिसंचरण तालाब और खेत के तालाब जैसे वाटरशेड संरचनाएं बनाई जाएंगी। इस पानी का उपयोग गर्मियों के मौसम के दौरान किया जा सकता है।
इस योजना को सबसे पहले बुंदेलखंड के सबसे प्रभावित (पानी की समस्या ज्यादा है) क्षेत्र से लागू किया जाएगा। इस योजना का कार्यान्वयन दो जिलों महोबा और हमीरपुर से शुरू होगा। इस योजना की सफलता के आधार पर इसे अन्य ५ जिलों (ललितपुर, झांसी, जलुआन, बांदा और चित्रकूट) में इस योजना को लागू किया जाएगा।
Sujalam Suphalam Yojana (In English)
सुजलाम सुफलाम योजना क्या है? उत्तर प्रदेश राज्य में जल निकायों का निर्माण किया जाएंगा। राज्य में पानी की कमी की समस्या को हल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक योजना।
सरकार इस योजना को लागू करने के लिए गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), स्थानीय समुदायों और निजी क्षेत्र की सहायता लेगी। इस योजना को महाराष्ट्र राज्य में बड़ी सफलता मिली है। पानी की रक्षा के लिए अन्य परियोजनाओं के साथ कई जल निकायों का निर्माण किया जाएगा। वे गर्मियों के मौसम के दौरान किसानों की मदत करेंगा।
उत्तर प्रदेश राज्य के कई क्षेत्रों में पानी की कमी होने से, राज्य के नागरिकों को कई समस्यायों का सामना करना पड़ है। सरकार ने इन जल निकायों के लिए पहले से ही जगा (स्थान) को तय किया है। स्थानीय प्रशासन परियोजनाओं के लिए अनुमोदन प्राप्त करने पर काम कर रहा है। प्रोजेक्ट को तेज़ी से पूरा करने के लिए ड्रिलिंग मशीनों को किराए पर लिया जाएगा। परियोजना में कनालो को भी चौड़ा और गहरा कर दिया जाएगा।
किसानों को कृषि गतिविधियों के लिए उपयोग की जाने वाली खुदाई वाली मिटटी लेने की अनुमति है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नदियों में पर्याप्त पानी है और राज्य के भूजल स्थर को बढाया जाएंगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) के लिए आईआईटी खड़गपुर से करार किया है। आम तौर पर कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया बहुत महंगी है लेकिन आईआईटी- खड़गपुर तकनीकी विकसित होने से खर्चा बहुत कम आएगा। आईआईटी- खड़गपुर के साथ करार करने से १,००० वर्ग किमी क्षेत्र में कृत्रिम बारिश की प्रकिया का खर्च अमेरिका, इस्रल कंपनियों से आधा आयेंगा। आईआईटी-कश्मीर सिविल, एरो अंतरिक्ष, औद्योगिक प्रबंधन विभाग परियोजना में शामिल हैं।