Free Foodgrain Scheme, Jharkhand

To ensure health and welfare of the Primitive Tribal Group (PTG) families in the state.

मुफ्त खाद्यान्न योजना, झारखंड: राज्य में आदिम जनजातीय समूह (पीटीजी) परिवारों का स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करना।

झारखंड सरकार ने वर्ष २०१७ में राज्य में आदिम जनजातीय समूहों (पीटीजी) के लिए मुफ्त खाद्यान्न योजना शुरू की। इस योजना के तहत राज्य सरकार प्रति माह पीटीजी परिवारों को ३५ किलो चावल वितरित करती है। पीटीजी परिवारों में आमतौर पर चावल उनके नियमित आहार का एक प्रमुख हिस्सा होता है, इस प्रकार राज्य सरकार ने ऐसे परिवारों को चावल उपलब्ध कराने का फैसला किया। इस योजना के तहत परिवारों के दरवाजे पर पैकेट में चावल उपलब्ध कराया जाता है। चावल के पैकेटों की यह डोर टू डोर आपूर्ति खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों द्वारा की जाती है। ये चावल के पैकेट महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए जाते हैं जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत और स्वतंत्र हो जाते हैं। वर्तमान में यह योजना राज्य में लगभग ७३,००० पीटीजी परिवारों को लाभान्वित कर रही है जिससे कल्याण सुनिश्चित हो रहा है।

योजना अवलोकन:

योजना मुफ्त खाद्यान्न योजना
योजना के तहत झारखंड सरकार
द्वारा कार्यान्वित राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
लॉन्च वर्ष २०१७
लाभार्थी राज्य में आदिम जनजातीय समूह (पीटीजी) परिवार
लाभ प्रति माह ३५ किलो चावल मुफ्त
प्रमुख उद्देश्य राज्य में आदिम जनजातीय समूह (पीटीजी) परिवारों का स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करना।

उद्देश्य और लाभ:

  • योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में पीटीजी परिवारों को उनकी भूख के मुद्दों को दूर करने में मदद करने के लिए चावल उपलब्ध कराना है।
  • इस योजना के तहत राज्य सरकार प्रत्येक पीटीजी परिवार को ३५ किलो चावल मुफ्त देगी।
  • राज्य सरकार लाभार्थी परिवारों के दरवाजे पर मुफ्त चावल प्रदान करती है।
  • यह योजना महामारी के समय में भी पीटीजी परिवारों को बुनियादी भोजन सुनिश्चित करती है।
  • यह योजना सुनिश्चित करेगी कि राज्य में कोई भी व्यक्ति बिना भोजन के भूखा न रहे।
  • इसका उद्देश्य राज्य भर में पीटीजी परिवारों की समग्र स्वास्थ्य स्थितियों को बढ़ाना है।
  • यह सामाजिक सुरक्षा और लाभार्थियों के कल्याण को सुनिश्चित करता है।

प्रमुख बिंदु:

  • झारखंड सरकार द्वारा वर्ष २०१७ में मुफ्त खाद्यान्न योजना शुरू की गई है।
  • यह योजना मुख्य रूप से राज्य में आदिम जनजातीय समूहों (पीटीजी) के लिए शुरू की गई है।
  • राज्य में असुर, बिरहोर, पहाड़िया (बैगा), सबर, बिरजिया, कोरवा, मल पहाड़िया और सौरिया पहाड़िया जैसे आदिवासी समूहों को पीटीजी के रूप में गिना जाता है।
  • ये आदिवासी समूह लगभग रु. १००० प्रति माह उनके जीवन यापन के रूप में और साक्षरता पर भी कम हैं।
  • इस प्रकार, सरकार लाभार्थियों को हर महीने ३५ किलो मुफ्त चावल प्रदान करती है और वह भी उनके दरवाजे पर।
  • इस डोर टू डोर सेवा का उद्देश्य परिवार के प्रत्येक लाभार्थी परिवार तक पहुंचना है जिससे उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
  • योजना के तहत चावल का वितरण राज्य में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।
  • राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा चावल के पैकेट तैयार किए जाते हैं जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत और स्वतंत्र होते हैं।
  • इस योजना के तहत वर्तमान में लगभग ७३,००० परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।
  • राज्य सरकार ने ४ अक्टूबर २०२१ को इस योजना के लिए सोशल ऑडिट कराने की घोषणा की थी।
  • इसके तहत विभाग के कर्मचारी प्रत्येक परिवार का दौरा करेंगे और खाद्यान्न वितरण में आने वाली समस्याओं का सामाजिक सर्वेक्षण करेंगे।
  • इससे सरकार को अंतराल का पता लगाने और लाभार्थियों को खाद्यान्न का बेहतर वितरण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
  • इस ऑडिट के माध्यम से सरकार द्वारा योजना के वास्तविक कार्यान्वयन की जांच की जाएगी।
Y. S. Jaganmohan Reddy

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